सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो सभी है भीड़ में जो तुम भी निकल सको तो चलो ....
गुरुवार, 30 अप्रैल 2020
बुधवार, 29 अप्रैल 2020
मंगलवार, 28 अप्रैल 2020
पाक महीना आया है ये, खुशिया हर सू लाया है ये
झुक कर सज़दा करते है हम
खामोश निगाहे तकते है हम
ख़ुश हैं तू जिस हाल मे रखे
इस चाँद को चाहे जिस आसमान में रखे ...
Pak month has come, this happiness has brought everyone We bow down We keep silent eyes How are you happy Regardless of the sky in which you place this moon…

यै ख़ुदा
एक सन्नटा
इतनी खामोशी
हर नज़र ये पूछती है ...!
कैसा मंज़र है, ये
एक डर जो बहुत कुछ कहती है
पर खामोश रहती है
सवाल इतने है ...
पर जवाब कोई नहीं
कुछ अटकले है, जो हर कोई लगा
जाता है
पर दोष किसका है...!
ये कोई सज़ा है, या दुआ है
कुछ कहोगे तुम !
या, यू ही खामोश
बूत ही बने रहोगे तुम ...!
An anomaly So much silence Every look asks this ...! How is the scene A fear that says a lot But silent The question is: But no answer Some are stuck, which everyone puts But who is to blame…! Is it a punishment or a prayer Will you say something! Or, you are silent You will remain an idol ...
रविवार, 26 अप्रैल 2020
शनिवार, 25 अप्रैल 2020
शुक्रवार, 24 अप्रैल 2020
बुधवार, 22 अप्रैल 2020
मंगलवार, 21 अप्रैल 2020
सोमवार, 20 अप्रैल 2020
शुक्रवार, 3 अप्रैल 2020
गिरहे सुलझाने बैठी हूँ
`
हर कुछ धुंधला धुंधला
साफ़ नज़र आता है
बस रुकी रुकी सड़को पर
वक़्त दौड़ता रहता है
सदियों से जाने किसे ढूंढ़ता ये मन
आज उदास बैठा है ...
उदासी की गिरहे ,सुलझती ही नहीं
शायद ये छोर हो,शायद वो छोर हो
अब ये मन हताश बैठा है
आश टूटी नहीं फिर भी
सांस छूटी नहीं फिर भी
सुलझ ही जाएगी इक दिन
गांठे पिघल ही जाएगी इक दिन
मोती पिरोओगी, जिंदगी
तेरे धागो मे उस दिन ...
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