सोमवार, 15 जनवरी 2024

मकर संक्रांति का पर्व क्यों मनाया जाता है ?

 

 

मकर संक्रांति एक हिन्दू त्योहार है जो सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करने के अवसर पर मनाया जाता है। यह त्योहार भारतीय हिन्दू पंचांग (कैलेंडर) के अनुसार माघ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी से माघ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तक का समय होता है, जिसे 'मकर संक्रांति' कहा जाता है।

 

मकर संक्रांति को भारतवर्ष में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है और इसे देश के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे मकर संक्रांति, पोंगल (तमिलनाडु), उत्तरायण (गुजरात और राजस्थान), मघु संक्रांति (असम), माघ बिहु (असम), खिचड़ी संक्रांति (बंगाल), तिल संक्रांति (महाराष्ट्र) आदि।

 

मकर संक्रांति का महत्व है क्योंकि इस दिन सूर्य उत्तरायण की दिशा में बदल जाता है, जिससे दिन का समय बढ़ता है और रात का समय कम होता है। इसे सूर्य के उत्तरायण के समय के साथ जुड़ा हुआ माना जाता है, जो किसानों के लिए फसलों की उच्च उपज और शुभ फल की प्राप्ति का संकेत माना जाता है। इसे विशेष रूप से दान और धर्म का मौसम माना जाता है, जब लोग अपनी दान और पुण्य कार्यों को बढ़ाते हैं।




बुधवार, 3 जनवरी 2024

सावित्रीबाई फुले एक महानायिका

 

सावित्रीबाई फुले एक महानायिका

सावित्रीबाई फुले एक महाराष्ट्रीयन कवियित्री, शिक्षक, समाज सुधारक और शिक्षक थीं। उन्होंने महाराष्ट्र में अपने पति ज्योतिबा फुले के साथ भारत में महिलाओं के अधिकारों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। सावित्रीबाई फुले को भारत में नारीवादी आंदोलन की स्थापना का श्रेय दिया जाता है। पुणे में, भिड़ेवाड़ा के पास, सावित्रीबाई फुले और ज्योतिबा ने 1848 में पहले आधुनिक भारतीय लड़कियों के स्कूलों में से एक शुरू किया।सावित्रीबाई फुले ने लोगों के लिंग और जाति के आधार पर पूर्वाग्रह और अन्यायपूर्ण व्यवहार को खत्म करने का काम किया।

सावित्रीबाई पूरे देश की महानायिका हैं। हर बिरादरी और धर्म के लिये उन्होंने काम किया। जब सावित्रीबाई कन्याओं को पढ़ाने के लिए जाती थीं तो रास्ते में लोग उन पर गंदगी, कीचड़, गोबर, विष्ठा तक फैंका करते थे। सावित्रीबाई एक साड़ी अपने थैले में लेकर चलती थीं और स्कूल पहुँच कर गंदी कर दी गई साड़ी बदल लेती थीं। अपने पथ पर चलते रहने की प्रेरणा बहुत अच्छे से देती हैं।

सावित्रीबाई ने 19वीं सदी में छुआ-छूत, सतीप्रथा, बाल-विवाह और विधवा विवाह जैसी कुरीतियों के विरुद्ध अपने पति के साथ मिलकर काम किया। उन्होंने आत्महत्या करने जाती हुई एक विधवा ब्राह्मण महिला काशीबाई की अपने घर में डिलीवरी करवा कर उसके बच्चे यशंवत को अपने दत्तक पुत्र के रूप में गोद लिया। दत्तक पुत्र यशवंत राव को पाल-पोसकर उन्होंने उसे डॉक्टर बनाया

सावित्रीबाई फुले ने कविता और गद्य भी लिखा। उन्होंने गो, प्राप्त शिक्षा नामक एक कविता भी जारी की, जिसमें उन्होंने उन लोगों से शिक्षा प्राप्त करके खुद को मुक्त करने का आग्रह किया, जिन्हें शिक्षा प्राप्त करने के लिए उत्पीड़ित किया गया है।

5 सितंबर 1848 में पुणे में अपने पति के साथ मिलकर विभिन्न जातियों की नौ छात्राओं के साथ उन्हों ने महिलाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की। एक वर्ष में सावित्रीबाई और महात्मा फुले पाँच नये विद्यालय खोलने में सफल हुए। तत्कालीन सरकार ने इन्हे सम्मानित भी किया। एक महिला प्रिंसिपल के लिये सन् 1848 में बालिका विद्यालय चलाना कितना मुश्किल रहा होगा, इसकी कल्पना शायद आज भी नहीं की जा सकती। लड़कियों की शिक्षा पर उस समय सामाजिक पाबंदी थी। सावित्रीबाई फुले उस दौर में न सिर्फ खुद पढ़ीं, बल्कि दूसरी लड़कियों के पढ़ने का भी बंदोबस्त किया

10 मार्च 1897 को प्लेग के कारण सावित्रीबाई फुले का निधन हो गया। प्लेग महामारी में सावित्रीबाई प्लेग के मरीजों की सेवा करती थीं। एक प्लेग के छूत से प्रभावित बच्चे की सेवा करने के कारण इनको भी छूत लग गया। और इसी कारण से उनकी मृत्यु हुई

उनको शत शत नमन है

 



 

मंगलवार, 2 जनवरी 2024

नए साल में नया क्या करें

 

नए साल में नया क्या करें


नए साल में कई लोग नए और सकारात्मक परिवर्तन करने का निर्णय करते हैं। यहां कुछ सुझाव हैं जो आप नए साल में कर सकते हैं -

नए लक्ष्य बनाएं:

अपने लाइफ या करियर के लिए नए लक्ष्य तय करें। इन्हें स्मार्ट (स्पष्ट, मापनीय, आकस्मिक, योजनाबद्ध, समय-सीमित) बनाएं।

नई कौशल सीखें:

नए साल में कुछ नए कौशलों का सीखना या माहिरत बढ़ाने का निर्णय करें। यह आपकी स्वयं की विकास और करियर में मदद कर सकता है।

स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं:

स्वस्थ खानपान, नियमित व्यायाम और ध्यान में सुधार करने का प्रतिबद्ध रहें।

अध्ययन या स्वयं विकास में रुचि लें:

नए क्षेत्रों में अध्ययन करने या नए कौशल सीखने के लिए समय निकालें।

समय प्रबंधन में सुधार करें:

 समय का सही तरीके से प्रबंधन करने का प्रयास करें, ताकि आप अपने लक्ष्यों की दिशा में साफी पूर्ण कर सकें।

सामाजिक संबंध बढ़ाएं:

 नए साल में नए दोस्तों बनाने का प्रयास करें और पुराने संबंधों को मजबूत करें।

आत्म-समर्पण करें:

 सेवा या आत्म-समर्पण के माध्यम से अपने समुदाय या समाज में योगदान करें।

नैतिकता में सुधार करें:

 अच्छे नैतिक मूल्यों का पालन करने का प्रयास करें और अपने व्यवहार में सुधार करें।

ये सुझाव आपको नए साल में नए और सकारात्मक दृष्टिकोण और लक्ष्य प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं।