मंगलवार, 12 जून 2018


कहाँ हो साथी 


ख़ुद से ख़ुद की बात कर ली 
तन्हाइयों में यू 
तकती रही दूर उस सितारे को 
पूछती हूँ इनसे 
कौन हूँ मै ... 
कौन हो तुम ... 
इन सैकड़ो सितारों में 
इक सितारा मेरा भी होगा ... 
कहाँ हो साथी ...!
आओ साथ चले 
सर्द अँधेरा और तन्हाई है 
मेरा वो सितारा कही तो होगा 
ढूंढ ही लुगी तुमको 
रात ढलने से पहले 
चमकना मेरे साथ 
लहकना मेरे साथ 
एक होकर ... 
जैसे भोर का तारा 









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