कहाँ हो साथी
ख़ुद से ख़ुद की बात कर ली
तन्हाइयों में यू
तकती रही दूर उस सितारे को
पूछती हूँ इनसे
कौन हूँ मै ...
कौन हो तुम ...
इन सैकड़ो सितारों में
इक सितारा मेरा भी होगा ...
कहाँ हो साथी ...!
आओ साथ चले
सर्द अँधेरा और तन्हाई है
मेरा वो सितारा कही तो होगा
ढूंढ ही लुगी तुमको
रात ढलने से पहले
चमकना मेरे साथ
लहकना मेरे साथ
एक होकर ...
जैसे भोर का तारा
एक कदम अपनी ओर ...
जवाब देंहटाएंसही दोस्त ...
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