राहें हँस के कहती है मुझे,
थकते नहीं क्या ...
मैं भी उत्तर में मुसकुरा देती हूँ ...
आओ साथ चले साथी
बड़ी तपती धूप है राहो में
नंगे पैर जलते है पाँव ...
मेध बरसो तुम भी तो कभी
देखूं मैं भी रंग तुम्हारे ...
चलो जाने भी दो,
हम ही आएंगे ,
कभी गांव तुम्हारे ...
राहें हँस के कहती है मुझे,
थकते नहीं क्या ...
मैं भी उत्तर में मुसकुरा देती हूँ ...
आओ साथ चले साथी बड़ी तपती धूप है राहो में
नंगे पैर जलते है पाँव ...
मेध बरसो तुम भी तो कभी
देखूं मैं भी रंग तुम्हारे ...
चलो जाने भी दो,
हम ही आएंगे ,
कभी गांव तुम्हारे ...
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