शनिवार, 30 जनवरी 2021


मेरा आसमान

दोस्तों आपसे कुछ बाते सांझा करना चाहूँगी, यह लेखनी आखिर क्यों ! यह  सवाल भी होंगे ज़हन में, लामी भी है !

इस सर के बारे में मैं आगे जो भी बताने वाली हूँ या आपसे बाँटने  वाली हूँ उसका कोई मकसद है और बहुत सारे प्रश्नों के जवाब भी है | इस लेखनी की आखिर रूरत क्या है, और कौन से प्रश्न और जवाब यह भी धीरे-धीरे पता चलता जाएगा | तो पने इस सर में आइए कुछ देर साथ चलें और बातें करें..

क्या, क्यों, कबतक, कैसे, शुरुआत कहाँ से करें ! यह सारे प्रश्न है एक-एक  करके हम सारी बातें करेंगे-

 

सपने बुनना मेरी बचपन की आदत है और लगभग सभी बच्चे भी अपने सपनों का चरखा तो चलाते ही हैं, यह बात उन दिनों की है जब सपनों का अर्थ भी नहीं पता था, तब से ही मेरी एक अलग दुनिया थी, उसमें समय गुज़ारना, उसमें रंग भरना मुझे बड़ा भाता था | फ़िर हकीकत की दुनिया में जब सारे रंग सफेद और काले दिखने लगे तब कुछ समय के लिए लगा जीवन शायद सफ़ेद और काला ही है और वक्त चलता रहा मेरे सपने आश्चर्य से मुंह खोले खड़े थे, और कह रहे  थे, कि तू यह क्या कर रही है? और सच कहूँ  तो आज मैं अपने सपनों के राह पर चल रही हूँ, जो रास्ते मैंने चुन लिए, वह मेरे सपने ही थे और मैं अपने हिस्से की मीन जहाँ में खड़ी हूँ, मैं आज इस लायक हो पाई हूँ कि जीवन के कई सवालों के जवाब दे सकूँ और मैं इसका श्रेय अपने खुली आँखों से देखे हुए अपने सपनों को ही दूंगी | हाँ, इसके साथ बहुत से लोग और परिस्थितियाँ भी शामिल रहीं हैं, इसको नकारा नहीं जा सकता |

कौन से सपने -  आपको लग रहा होगा, कौन से सपने की बात कर रही हूँ मै, हाँ ! वही जो मुझे रातों को जगा देते है, वही जो दिल पर हर बार दस्तक देते है, एक मज़ेदार बात बताऊं - जब मैं आपसे यह सांझा करने बैठी सच में तब मुझे यह गहरी अनुभूति हुई | आज से करीब 20 साल पहले जब मैं अपनी पहली पुस्तक का प्रस्तावना लिख रही थी तब मैंने लिखा था- कुछ बनना शायद मेरे लिए बहुत अहम नहीं, पर अपने अस्तित्व होना सही-सही समझना चाहती हूँ ओह मेरे खुदा ! आज मैं इसको आपस में रिलेट कर पा रही हूँ, जोड़ पा रही हूँ मैं इस प्रश्न का उत्तर टुकड़ों-टुकड़ों में तलाश कर रही थी पर जब मैं अपने कोचिंग के  सफ़र में आई और यह प्रश्न मेरे सामने आया- हू एम आइ( मै कौन हूँ ?) मैं चकित थी ! और कहीं कोई भटकन भी नहीं था एक सिस्टम, एक विधि, जिसमें सबकुछ समाहित है वह प्रश्न, सभी के प्रश्न जो हम सब कभी ना कभी खुद से पूछते हैं और उत्तर हमारे पास है बस एक सिस्टम के रिए वह सब हम खुद ही पा जाते हैं | मैं आश्चर्यचकित हूँ, जब मैंने यह सर शुरू किया था, मैं स्वयं ही उलझी हुई थी | कितने प्रश्न थे ज़हन में, आज मुझे यह एहसास होता है कि यह मेरी तलाश ही थी जहाँ मैं पहुँच गई | ऐसा लगा मुझे कि यह कोचिंग का सर एक आईना है मेरे लिए, जो शीशा धूँधला पड़ता जा रहा था, आज वह साहो रहा है और मैं अपनी परछाईं को स्पष्ट देख पा रही हूँ | इस सर में लगभग सभी प्रश्नों के उत्तर छिपे हैं और अब मैं भी इस मुकाम पर हूँ कि आज आपके प्रश्नों के उत्तर ढूंढने में मैं आपकी सहायिका हूँ, मददगार हूँ | तो दोस्तों, इस सर पर चल कर खुद को पाना आसान हो सकता है, रास्ते बहुत हैं उन रास्तों में मैं इस सिस्टेम के द्वारा आसानी से स्वयं, तक खुद तक अपनी मंजिल तक पहुँच सकी हूँ | तो ज़ाहिर है कि आप भी पहुँच सकतें हैं  |

पा ही लेंगे अब किनारा कश्तियां भी कहती है

क्यों यही रास्ता  -

एक छोटी सी कहानी -  मैं कोचिंग में करीब आज से चार-पाँच साल पहले गई,

कोच के सेमिनार में पहली पंक्ति (रो) में बैठी उनको सुनकर मुग्ध हो गई पर एक डर था जो पीछे पड़ा थी |  मेरे पति ने कहा ज्वाइन कर लो, मैंने ना कर दिया, असलता का डर जो मुझसे कहने लगा नहीं, तुम यह नहीं कर पाओगी और मैंने रास्ता बदल दिया, मै कोचिंग के रास्ते पर नहीं गई | फिर मेरी मन की भटकन शुरू, और मै फ़िर भटकती रही, कुछ ढूँढती रही , पर मेरे भीतर की वो भूख कह रही थी- तुमको कुछ और करना है, तुम इसके लिए नहीं बनी हो | मुझे बहुत कुछ लौटाना है, अपने इस समय को, अपने देश को, अपने लोगों को | परंतु रास्ता कौन सा है, जाना किस तरफ़ है, यह नहीं पता चल पा रहा था, फ़िर सोशल मीडिया पर और हर कहीं वही सब कुछ आँखों के सामने गुरने लगा जो मै ढूंढ रही थी शायद | मैं अपने आसपास के कुछ लोगों को देखती थी, जो मेरे ही जैसे हैं पर वह कुछ वैसा कर पा रहे हैं जो वो करना चाहते हैं | फिर मेरी प्यास को सागर की ओर कदम बढ़ाने का रास्ता मिला और आज मैं खुश हूँ कि मैं यह सफ़र पर चल पा रही हूँ और अपने साथ-साथ जाने कितने  ऐसे लोग हैं जिनको खुद को ढूंढने में अपनी मंजिल के रास्ते पर चलने में मदद कर पा रही हूँ, थैंक यू गॉड ! और कहानी अभी चल रही है - ऐसी कहानी जिसकी  शुरुआत भी अच्छी है, मध्य भी और यह अनंत है इसका अंत नहीं हो सकता.. |

यह है क्या

आपको मैंने अपनी छोटी कहानी भी सुना दी और मेरे जीवन के प्रश्नों के उत्तर भी मिल गए, यह भी पता चला, पर यह है क्या कोच बनना ही क्यों चुना मैंने ? इसमे हम खुद से कैसे मिल सकते है ? और मै दुनिया को इससे क्या लौटा सकती हूँ ?

तो जवाब बहुत साधारण है कोचिंग में आकर मैंने सबसे पहले खुद को जाना, मै क्या हूँ और मै ऐसी क्यों हूँ ! अपने आस पास होने वाली घटनाओं पर प्रतिक्रिया करने की जगह उनको सकारात्मकता से जीना शुरू किया | असल मे यह प्रक्रिया किसी एक की ज़रूरत नहीं है, यह हम सब की ज़रूरत है | मै यह नहीं कहती की यही एक मात्र रास्ता है कही पहुँचने का, बहुत कुछ पा लेने का, पर हाँ ! यह एक बहुत ही शानदार रास्ता है, यह ज़रूर कहना चाहूँगी | इस सिस्टेम में सभी बातें जो भी हम अपने आप को सिखाते है, जो भी बातें हम दूसरों को बताते है, उन सबका आधार है, कोई भी बात हवा मे नहीं कही गई है, और जब धीरे धीरे पर्दा उठता है मै खुद इतनी हैरान हूँ, कि शब्द नहीं है, उसको बस एहसास ही किया जा सकता है | और धन्यवाद किया जा सकता है | बहुत से प्रश्न थे और आते रहेंगे, कि मैं कौन हूँ, यह मेरी सोच क्यों है, यह सब मेरे साथ क्यों हो रहा है, मै आखिर क्यों बनाई गई हूँ ? मुझे पहुँचना कहाँ है..और भी बहुत-बहुत कुछ.. और जवाब यहाँ मिलता है, कोई और नहीं हम स्वयं ही जवाब भी तलाशते है और अपनी मंजिल भी.. तो कौन नहीं चलना चाहेगा इस सफ़र पर | कौन है जिनके पास सवाल नहीं है ?

अलादीन का चिराग  

बताओ मेरे आका क्या हुक्म | अरे ! यह चिराग कहाँ पर गुम हो गया था ! अलादीन का जिन तो दिए से कब से आवा दे रहा हैं, हम ही सुन नहीं पा रहे हैं, पर अब यह अलादीन इस दिए को रगड़ना सीख गया है और हुक्म देना भी | आओ देखें अलादीन हमारी खिदमत में क्या पेश करता है | आपको क्या चाहिए चिराग से ? एक बार फ़िर से मैं यह कहना चाहूँगी कि इस कोचिंग ने ही मुझे उस खोए हुए जादुई चिराग से फिर से मिलवा दिया पर यह जादुई चिराग हमसे गुम कैसे हो गया था, अब मैं यह मानती हूँ यह कभी गुम हुआ ही नहीं, बस हमने यह मान लिया था और स्वीकार कर लिया था, कि अलादीन का चिराग है ही नहीं  | आज मेरे पास जीने की खूबसूरत सी वजह है | जब लोग मुझे एक बार धन्यवाद बोल कर चले जाते हैं तब मैं उस ईश्वर को ढेरों धन्यवाद देती हूँ कि मुझे इस रास्ते पर चलाया आपने | अपनी प्यास बुझाने के लिए सभी को पानी तक तो खुद ही पहुँचना होता है मैंने तो अपना रास्ता चुन लिया है, क्या आप तैयार हैं ? यह सिस्टम शीशे में खुद को, गर्व, सम्मान और प्यार के साथ देखना सिखाता है | हम सभी का यह हक है और र्ज भी कि अपनी सही तस्वीर ही हम देखें और दुनिया को दिखाएं, जो भी इस सफ़र पर आना चाहें उनका दिल से स्वागत करती हूँ और बधाई देती हूँ | तो आइए दोस्तों, हम मिलकर चले, एक सर की शुरुआत करें जहाँ से हम खुद तक पहुँच सकेंगे | जहाँ से म अपने धरती और आसमान दोनों को पा सकेंगे | हम क्या हैं और हमारी संभावनाएं क्या हैं यह भी जान सकेंगे और छू सकेंगे अपने उस तारे को जो सिर्फ हमारा है | जहाँ से हमें चैन का रास्ता मिलता हो, जहाँ हमारी भटकन, जहाँ हमारी बेचैनी यह कहती है कि बस ! बहुत हुआ अब चलते हैं दोस्तों उड़ते हैं दोस्तों और एक दूसरे का हाथ पकड़ते हैं, काफ़िला बनाते हैं क्योंकि अकेले चलने का वह मज़ा नहीं जब हम सब मिलकर पहुंचेंगे एक ऊँचाई पर, एक ऐसी जगह जहाँ हम गर्ववान्वित हो सके तो उस का आनंद ही कुछ और है | उस परम आनंद की प्राप्ति के लिए हमें चलना है, हमें पहुँचना है, हमें धन्यवाद देना है, हमें खुश होना है, हमें उत्सव मनाना है |

परिस्थितियाँ

समय और परिस्थियाँ हमारे अनुकूल और प्रतिकूल चलती रहती है ,जैसे 2020 का यह साल जो हम सबको बहुत कुछ सीखा कर गया है, अब हम इन परिस्थितियों को किस तरह से लेते है हमारी मानसिक दशा क्या है, हमने अपने मन रूपी जिन्न को क्या आदेश दिया है, यह हम पर निर्भर है | 2020 के इन कठिन समय में भी कुछ लोगों ने अपने समय को जी भर जिया और कुछ ने सिर्फ शिकायत करते हुए निकाल दिया .. आपने क्या किया ? मैंने तो इस समय का भर पूर सदुपयोग किया है ,क्या आपको नहीं लगता कि कई बार परिस्थितियों को बदलना हमारे बस मे नहीं, परंतु सिर्फ हमारे देखने का नज़रिया बदलने भर से जीवन मे एक परिवर्तन की शुरुआत हो जाती है और मैंने अपना नज़रिया बदला है और अब जीवन मे स्पष्टता है , स्वीकारिता है, प्रकाश है | मेरी यही कामना है कि हम सभी इस जीवन में  खुद की पहचान पा सके और सकारात्मकता फैला सकें |

अंत इस नई शुरुआत से करना चाहूँगी ..

रोशनी का ये सफ़र है .. उजालों मे ही अपना बसर है

 

धन्यवाद



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