सुना है डरना मना है
ये उड़ता-उड़ता मुझको भी
पता चला है |
कल भोर बेला मेंयेसा लगा, बहुत पास सेआसमान में एक हवाई जहाज निकलाना, मै डरी नहीं, कोई नई बात थोड़े ही हैआसमान मे ये आवाज़ेबस मन जैसे आशंकित हुआआधी नींद मे ही ऐसा लगाकी ये आखिरी समय तो नहीं आया !कही ये आसमान से बमों कीबारिस तो नहीं करेगा .. !हाँ- हाँ, पता हैडरना मना हैउठने पर मै खुद पर ही हँसीऔर सोचा, मै डरी क्यों !ये हम सब की सोच मेंकैसा ज़हर हैसंभलों और संभालो अपनों को भीक्योंकि, ना चाहते हुए भीसामने खौफ़ का भयावह मंज़र है ..|पर सुना हैडरना मना है |- पुष्पा -
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