रविवार, 20 नवंबर 2022

ज़िन्दगी 

                          इस अंबर पे सैकड़ों तारे झिलमिलाते से

कई अनजाने और कुछ पहचाने से

एक विशाल भू – खंड

और उसे पूर्णता देता ये अंबर

कितनी हलचल, कितना शोर

जैसे कही पहुँचने की होड़

कुछ पा लेने की दौड़

और कई खामोशियाँ

कुछ तन्हाइयाँ

कभी चाँद, तारो से बातें

कई रिवायते

कुछ संस्कार

कितनी हँसी, खिलखिलाहट

कुछ आँसू

कितने दोस्त और हबीब

कुछ रकीब

इन सबके साथ

चलती ये ज़िंदगी

गिरती सम्भलती

रूकती, भागती ये ज़िन्दगी

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-    पुष्पा गुप्ता - 


 

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